मौलाना जुल्फिकार अहमद की वफात पर मदरसा नूरुल उलूम में मुनक़्क़द हुई ताज़ियती मीटिंग…….

मौलाना जुल्फिकार अहमद की वफात पर मदरसा नूरुल उलूम में मुनक़्क़द हुई ताज़ियती मीटिंग…….

अब्दुल अज़ीज़

बहराइच : (NNI 24)  यही सच्चाई है कि जो भी इस दुनिया में आया है उसे एक न एक दिन इस दुनिया को छोड़कर जाना है, यही क़ानूने इलाही है और क़ानूने खुदावंदी है, हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर आज तक यह सिलसिला चल रहा है और क़यामत तक चलता रहेगा। इसी सिलसिले की एक कड़ी आलमे इस्लाम की अजीम रुहानी और इल्मी शख्सियत पीरे तरीक़त हज़रत मौलाना पीर ज़ुल्फ़िक़ार अहमद नक्शबंदी, मुजद्दिदी की वफात का सानिहा भी है, यक़ीनन हज़रत की वफात से अहले इल्म और अहले तसव्वुफ के बीच एक खला पैदा हुआ है, जिसका भरना बजाहिर मुश्किल है।
मजकूरा ख्यालात का इज़हार जामिया अरबिया मसऊदिया नूरुल उलूम बहराइच के प्रबन्धक बुज़ुर्ग आलिमे दीन हज़रत मौलाना क़ारी ज़ुबैर अहमद क़ासमी ने एक ताजियती बैठक में किया, उन्होंने आगे कहा कि मौलाना ज़ुल्फ़िक़ार अहमद नक्शबंदी यक़ीनन अल्लाह वाले और निहायत बुज़ुर्ग शख्सियत के हामिल थे, अल्लाह ने दुनिया के चप्पे-चप्पे में उनके फ़ैज़ को आम किया और पहुंचाया, अल्लाह ने आपको उस कोह-ए-तूर पर पहुंचाया जहां यहूदियों के सिवा किसी दूसरे को जाने की इजाज़त नहीं है, आपकी रसाई वहां तक हुई और वहां के दरख्तों के कुछ पत्ते भी आपने हासिल किए और सिलसिला-ए-नक्शबंदिया की तरवीज और तआरुफ के लिए पूरी दुनिया का आपने सफ़र किया, गोया सिलसिला-ए-नक्शबंदिया को हयात नौ देने के लिए अल्लाह ने इस दौर में आपको पैदा फरमाया था, यही वजह थी कि एशिया की महान दीनी दर्सगाह दारुल उलूम देवबंद के एक दो नहीं कई उस्ताज़ हज़रत से इस्लाही ताल्लुक़ क़ायम करके सिलसिला-ए-नक्शबंदिया से वाबस्ता हुए और हज़रत मौलाना की तरफ़ से बैयत और ख़िलाफत से सरफराज किए गए, और हज़रत मौलाना की इल्मी और तसव्वुफ की लाईन से अंजाम दी जाने वाली खिदमात को सराहते हुए दारुल उलूम देवबंद की तरफ़ से एजाजी सनद से भी नवाजा गया और खुसूसी तौर पर खानदान-ए-कासमी के अज़ीम फरजंद हज़रत मौलाना मुहम्मद सालिम क़ासमी, पूर्व प्रबन्धक दारुल उलूम वक्फ देवबंद ने इजाज़त हदीस से नवाजा।
जामिया नूरुल उलूम के प्रधानाध्यापक मौलाना मुहम्मद इनायतुल्लाह क़ासमी ने कहा कि हज़रत पीर साहब का बयान निहायत सादा और तकल्लुफात से ख़ाली होता था, ऐसा पुर असर बयान होता था कि सुनने वालों पर गिरया तारी हो जाता था, छोटा हो या बड़ा हर एक आपकी वाज की मजलिस में रोता हुआ नज़र आता था, दारुल उलूम देवबंद के एक तालिब इल्म ने बयान किया कि जब हज़रत पीर साहब दारुल उलूम तशरीफ़ लाए और तलबा के बीच मस्जिद रशीद में खिताब किया तो हर तालिब इल्म की आंखें अश्कबार और दिलों में सोज़ और तड़प पैदा हो गई, वाज और नसीहत और मुराकबा और जिक्र क़ल्बी का असर कई हफ्तों तक दारुल उलूम के अतराफ में महसूस किया गया।
मौलाना मुफ्ती इश्तियाक़ अहमद क़ासमी शेखुल हदीस जामिया नूरुल उलूम ने कहा कि मुझे दो मरतबा हज़रत पीर साहब से मुलाक़ात का सौभाग्य हासिल हुआ और हज़रत की रुहानी मजलिस से इस्तिफादा का मौक़ा मिला, इसमें कोई शक नहीं कि हज़रत मौलाना ज़ुल्फ़िक़ार अहमद साहब नक्शबंदी बहुत बाकमाल और बाफैज़ शख्सियत के हामिल थे, अकाबिरीन की निगाहों में भी हज़रत पीर साहब की बड़ी क़द्र और मंजिलत थी, साहिबे कशफ बुज़ुर्ग थे, शायद दुनिया का कोई मुल्क हो जहां हज़रत मौलाना न पहुंचे हों और उनके मुरीदीन और ख़लीफा वहां मौजूद न हों, इसी तरह हज़रत पीर साहब दीने हक़ मजहब इस्लाम के बहुत ही कामयाब तरजुमान थे, अमरीका में बैनुल मज़ाहिब प्रोग्राम होते थे जिसमें दुनिया के तमाम मज़ाहिब के रहनुमा अपने अपने मज़हब का तआरुफ पेश करते थे, एक मरतबा अमरीका के कयाम के दौरान आपके मुरीदीन और मोतकिदीन ने आपसे कहा कि हम चाहते हैं इस बैनुल मज़ाहिब कनफ्रेंस में हम मुसलमानों की तरफ़ से तरजुमानी का फरीजा आप अंजाम दें, चुनांचे हज़रत पीर साहब ने इसमें शिरकत फरमाई और दुनिया के तमाम मज़ाहिब के मानने वालों के सामने इस बात का एलान किया कि हर मज़हब वाला अपनी किताब की उस ज़ुबान में तिलावत करे जिसमें अल्लाह ने नाजिल किया था, मजमा पर सकता तारी हो गया और बेक जुबान सबने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि कुरआन करीम के सिवा और कोई किताब इस वक़्त दुनिया में ऐसी मौजूद नहीं जो अपनी असली हालत में बाकी हो, यक़ीनन पीर साहब की जिंदगी हम सब के लिए सबक है और नमून-ए-अमल भी।
इस मौक़े पर हाफ़िज़ मुहम्मद सईद अख़्तर नूरी कार्यवाहक प्रबन्धक, मुफ्ती इकरामुद्दीन क़ासमी, मौलाना अमीर अहमद क़ासमी नायब नाजिम तालीमात, मौलाना नज़र मुहम्मद क़ासमी, मौलाना अबुलकलाम क़ासमी, मौलाना मुफ्ती महमूदुल हसन क़ासमी, मौलाना सईदुर्रहमान क़ासमी, मौलाना महमूद हसन क़ासमी, मौलाना मुफ्ती अब्दुल वहिद क़ासमी, मौलाना अब्दुल रक़ीब क़ासमी, मौलाना मुफ्ती सुफियान अहमद क़ासमी, मौलाना मुहम्मद साअद अख़्तर क़ासमी, हाफ़िज़ मुहम्मद राशिद नूरी, मौलाना सालिम हयातुल्लाह नूरी आदि मौजूद थे। इस ताजयती बैठक का समापन मौलाना क़ारी ज़ुबैर अहमद क़ासमी की रिक़्क़त आमेज़ दुआ पर हुआ।

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