श्रीकृष्ण व महाभारत काल के पुराने इतिहास को सेटेलाइट के माध्यम से खोजा जा सकता है-चन्द्रू रमेश……..

श्रीकृष्ण व महाभारत काल के पुराने इतिहास को सेटेलाइट के माध्यम से खोजा जा सकता है-चन्द्रू रमेश……..

श्रीगीता के आध्यात्मिक विज्ञान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन……

सुनील शर्मा

वृंदावन,मथुरा : (NNI 24) उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा संचालित गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी में दो दिवसीय गीता जयंती महोत्सव का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर हिस्टोरिका फाउन्डेशन के पुरातत्व विशेषज्ञ चन्द्रू रमेश ने कहा कि आज नई टेक्नॉलोजी के माध्यम से जमीन के नीचे की बस्तुओं, इमारतों व पुराने इतिहास, व सिक्कों को देखा व जाना जा सकता है, ब्रज क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण व महाभारत काल के पुराने इतिहास को खोज कर निकाला जा सकता है। इसके लिए ब्रज में भी कार्य शुरू किया जायेगा, जिसमें स्थानीय स्तर पर व शासन स्तर पर इस कार्य को करने के लिए सहयोग लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र के प्रमाण कुछ स्थलों की खुदाईयों में प्राचीन सामग्री मिली हैं, परन्तु महाभारत के युद्ध के निष्चित पुरातात्विक प्रमाण आज भी शोध का विषय है। इसी प्रकार ब्रज के पुराने इतिहास को इस टेक्नॉलोजी के माध्यम से खोज कर निकाला जा सकता है।
प्रथम दिवस गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के प्रशिक्षु छात्र व छात्राओं ने गीता के अठारह अध्याय-अठारह श्लोक कार्यक्रम के अंतर्गत संगीतमय प्रस्तुति दी। मणिपुर की रंग निकेतन सोसाइटी की ओर से गीता विद्वान अमरजीत सिंह ने गीता की सर्वव्यापी स्वीकारोक्ति विषय पर व्याख्यान में कहा कि गीता ग्रन्थ को किसी एक धर्म विशेष से नहीं बांधा जा सकता। इस ग्रंथ में सभी समस्याओं का हल है। ये मानव को जीने का रास्ता बताती है।

भक्ति वेदांत सोसाइटी सिंगापुर के अध्यक्ष अनुकम्पन दास ने संगीतमयी गीता पर गीत कार्यक्रम की प्रस्तुति दी।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत गीता शोध संस्थान वृंदावन के निदेशक प्रो दिनेश खन्ना और ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा उमेश चंद्र शर्मा जी ने अंत में आभार व्यक्त किया। मोक्षदा एकादशी के उपलक्ष्य में श्रीगीता-एक आध्यात्मिक विज्ञान विषय पर संगोष्ठी के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये।
गीता एक आध्यात्म विज्ञान विषयक संगोष्ठी में गौरांग इंस्टीट्यूट फॉर वैदिक एजुकेशन (ळपअमळममजं) के संस्थापक वृंदावन चंद्र दास ने गीता के गूढ रहस्यों को सरलता से समझाया। अन्य वक्ताओं में सत्यप्रकाश शर्मा ’सोटानंद’, साहित्यकार कपिल देव उपाध्याय, महेश चंद्र शर्मा, समाजसेवी मधु ठाकुर, शिक्षाविद् प्राचार्य मिश्रा, संध्या मिश्रा ने विचार व्यक्त किए।
मुकेश व मयूर कौशिक बंधुओं ने गीता पर हवेली संगीत (समाज गायन) की प्रस्तुति दी। श्रीमती मधु ने श्रीमद्भागवत गीता का वह ग्रंथ भेंट किया जिसे हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी में भावार्थ सहित पढ़ा व सुना जा सकता है। संस्थान की ओर से सुनील शर्मा ने अतिथियों का पटुका पहनाकर सम्मान किया। गीता शोध संस्थान के समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने जयंती महोत्सव का संचालन किया।

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